Friday, January 31, 2025

Ghazal - मिसरा ए तरही--> 'कमरों में चुप हैं काग़ज़ी गुल-दान की तरह

 जे ए के आर्ट एण्ड कल्चर फ़ाउन्डेशन की जानिब से अगली नशिस्त के लिए बज़्मे नौ सुख़न के लिए तरही मिसरा शायर सलाम मछली शहरी साहब की ग़ज़ल का मिसरा  दिया जा रहा है 

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मिसरा ए तरही--> 'कमरों में चुप हैं काग़ज़ी गुल-दान की तरह

वज़्न------------> 221     2121    1221     212


अर्कान------> मफ़ऊल  फा़इलात  मफा़ईल  फा़इलुन   

क़ाफ़िया--- जान ,शान, इंसान, नादान आदि.....

रदीफ़-------->  की तरह

फ़िल्मी गीत 

1-हम ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए

2-शिकवा नहीं किसी से किसी से गिला नही

3-उनके ख्याल आये तो आते चले गये |

4- मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी-कभी


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तो दोस्तों शुरू हो जाइये बेहतरीन अश'आर कहने के लिए 

निवेदक 


जे. ए. के. आर्ट एण्ड कल्चर फ़ाउन्डेशन

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