शिला को हमने
अपनेअपने ढंग से अपनाया
कभी हथियार
तो कभी मंदिर बनाया
काश !
हमारे ये हाथ न होते
माना पूजा के फूल न धोए होते
पर ख़ून में भीगे हुए
ये पत्थर तो न ढोए होते।
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