लघु कथा

 लघु कथा साहित्य की एक सशक्त विधा है जिसमे कम से कम शब्दों में बड़ी से बड़ी बात कही जा सकती है। अक्सर लघु कथा किसी कहानी से भी अधिक प्रभावशाली हो सकती है। आज के इस मशीनी युग में कम समय में पढ़ी जाने के कारण भी लघु कथा की विधा अधिक सार्थक जान पड़ती है। बानगी के लिए यह  लघु कथा देखें -


औकात


फ़ुटपाथ पर पसरी ,लाल पीले चीथड़ों में लिपटी उस काली-कलूटी बुढ़िया का करुण स्वर बरबस ही मेरा ध्यान बाँट लेता था, लकिन मैं अक्सर बहरा बन आगे बढ़ जाता था। मन हुआ आज बुढ़िया को पाँच - दस पैसे दे ही दूँगा। बुढ़िया निश्चित स्थान पर बैठी थी। कुछ पहले ही मैं अपनी ज़ेब में हाथ डाल पैसे टटोलने लगा। नज़दीक पहुँचने पर बुढ़िया ने मेरी तरफ़ देखा पर कुछ बोली नहीं। उसकी आँखों में याचना भरी करुणा न देख कर मैं अचकचा गया और इसी उधेड़बुन में अपनी ज़ेब में हाथ डाले -डाले आगे निकल गया। शायद  उस बुढ़िया को मेरी औकात का अंदाज़ा हो गया था।




लेखक - इन्दुकांत आंगिरस




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