Sunday, January 19, 2025

शहर और जंगल - इंसान का डर

 इंसान का डर 


एक अरसा हुआ 

एक राक्षस ने 

भूल से जूठा माँस 

इंसान को दिया था डाल  

बस तभी से 

वह राक्षस 

उस इंसान के डर से 

फिर रहा है 

इधर-उधर भागता 

नोच रहा है अपने बाल। 

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