मात्रा गणना में अलिफ वस्ल का
नियम
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जिस प्रकार हिन्दी व्याकरण में संधि होती है उसी प्रकार शायरी में भी यदि किसी शब्द का अंतिम अक्षर लघु मात्रिक व्यंजन ह और उसके बाद में अ , इ, उ आदि से शुरू होने वाला शब्द आता है तो ये पूर्ववर्ती लघुमात्रिक व्यंजन के साथ लय के अनुसार जुड़ जाते हैं जैसे
हमारे द्वार जब आया
यहां जब आया की मात्रा 222 है लेकिन यदि बहर की माँग वहाँ पर 122 मात्रा की हो तो जब आया की जगह 'जबाया ' पढ़ा जायेगा और मात्रा 122 माना जायेगा।
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