रब्त
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प्राय: देखा गया है कि जो लोग इस ग्रुप से जुड़े हुये हैं और उन्होंने शायरी अभी अभी सीखना शुरू किया है उनके शेर के.दोनो मिसरों में रब्त नहीं होता है
रब्त मतलब आपस में सम्बंध। शेर की दो पंक्तियों को मिसरा कहते है। पहली पंक्ति को ऊला मिसरा और दूसरी पंक्ति को सानी मिसरा कहते हैं। शेर की दोनों मिसरों में आपस मे रब्त होनी चाहिये। आपस में ताल मेल की कमी नहीं होनी चाहिये। नीचे दिये गये दो शेर का अवलोकन करिये।
भैंस देती है पाँच लीटर दूध
बेटा पढ़ने लगा किताबें अब
हमने घर पर लगा दिया ताला
कितनी मँहगी हुईं.जुराबें अब
पहले शेर के ऊला मिसरे में भैंस पाँच लीटर दूध दे रही है और दूसरे मिसरे मे बेटा किताबें पढ़ने लगा है। इस प्रकार
दोनों मिसरे का आपस में कोई लेना देना नहीं है। मतलब आपस में एक मिसरे का दूसरे से कोई संबन्ध ही नहीं ।
इसी प्रकार दूसरे.शेर में देखें-
घर में ताला लगा दिया है। जुराबें मँहगी हो गई हैं। घर में
ताला लगाने से क्या जुराबें मँहगी हो जायेंगी? कोई तालमेल नहीं है दोनों मिसरों में। इसलिए ये मिसरे बेरब्त हैं। हाँ अगर हम यह कहते कि घर में ताला लगाने से चोरी की संभावना कम हो गई है तब तो बात ठीक थी।
दूसरी बात - ग़ज़ल में केवल तुकबन्दी नहीं होनी चाहिये। हर शेर में कुछ न कुछ संदेश जाना चाहिये। हमें सपाट बयानी से बचना चाहिये। शेर का कथन स्पष्ट हो और ऐसे शब्द के प्रयोग से बचना चाहिए जिसमें पाठक को शब्द कोश देखना पड़े।
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