Wednesday, January 22, 2025

लघुकथा - राम भक्त

 राम भक्त 


अयोध्या मंदिर में राम लला के दर्शन करते ही बिरजू की धर्मपत्नी भाव विभोर हो बिरजू से बोली , "  देखिये ना , कितनी सुन्दर मुस्कुराहट है राम लला की .."

-" इनकी मंद मंद मुस्कुराहट पर ना जाओ , हम जैसे करोडो लोगो पर लगी GST की रकम से ही अपना इतना बड़ा घर बना के बैठे हैं। आज भी करोड़ों लोग बेघर हैं लेकिन इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता , इन्हें तो बस अपने महल से मतलब है ...."बिरजू  ने व्यंग्य से जवाब दिया 

- "अपने महल से मतलब है ..आख़िर मतलब क्या है आपका ? पत्नी ने जिज्ञासा  से पूछा। "  

- " मतलब यही है कि राम लला ने अपने सब भक्तों को ठगा , लेकिन भक्त अधिक अमीर बनने की चाह में  चढ़ावा चढ़ाते ही जा रहे हैं।   राम लला अपने भोले  भक्तों की  इस योजना पर मुस्कुराये नहीं तो क्या करें , तुम बिलकुल ठीक कह रही हो राम लला की मुस्कुराहट अप्रतिम है। "

मंदिर के प्रांगण में उठते राम लला के जयकारों के साथ बिरजू और उसकी पत्नी के जयकारें घुलमिल गए थे :" जय श्री राम , जय श्री राम।"  बिरजू की पत्नी की निगाह राम लला की अनुपम मुस्कुराहट पर देर तक जमी रही थी। 

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