ये कीलें
मैंने अपने ही सीने में
ठोंकी है कीलें
ये दर्द भी मेरा अपना है
फिर भी
सभी की आँख में चुभता हूँ
हर तरफ खौलता हुआ पानी
और मैं , एक मुर्दा सन्नाटा
अपने ही मुड़े हुए नाख़ूनों से छीलता
एक सत्य ...
अब और भी टूट गया हूँ
अब और नहीं सह सकता
अपनी उँगलियों का ठंडापन
की लावे का एहसास
और मैं एक उबाल
उबल उबल कर
थक हार कर
फिर टूट गया हूँ
और अब मैं
ख़ुद हैरान हूँ
क्यों मैंने अपने ही सीने में
ठोंकी थी कीलें ?
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