Saturday, May 20, 2023

प्रेम प्रसंग - साँवरिया

 साँवरिया


साँवरिया ,, कब आएँगे साँवरिया 


रूठ गई पायल की रुनझुन 

सूख गया माथे का चन्दन 

रीत गयी अधरों की सरगम 

जीत गया आँसू  का क्रंदन 


उठती गिरती लहरों - सा मन 

लाज में डूबे पहरों -  सा मन  


रूठ गयी नैनों  से निंदिया  

छूट गयी माथे से बिंदिया 

लौट गए सब गाजे - बाजे

शेष बची काग़ज़ की चिंदिया 


बनते - मिटते सपनों  - सा मन 

भूले - बिसरे अपनों-  सा मन 


रूठ गए पाँवों से बिछवे 

सूख गए तुलसी के बिरवे 

आज ज़रा - सी ठेस लगी तो 

टूट गए मिटटी के करवे


जलते - बुझते दीपों -सा मन 

बिखरे बिखरे गीतों - सा मन 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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