हवाईन्ग गिटार
गली कीर्तन वाली ग़ाज़ियाबाद में
गया था हवाईन्ग गिटार सीखने
पहले ही दिन
गुरु जी ने सिखा दिया गाना -
' ऐ मेरे दिल कही और चल
ग़म की दुनिया से दिल भर गया
मैं यहाँ जीते जी मर गया '
लिखवा दी थी गुरु जी ने
गाने की सरगम
बहुत ख़ुश हुए थे हम
घर पर आकर ख़ुद को
कर लिया था बंद स्टोर रूम में
और लगभग एक घंटे तक
अभ्यास करने के बाद
निकल पड़ा था गाना साज़ से
थपथपाई थी ख़ुद ही अपनी पीठ
पसीने की चंद बूँदे
साज़ की आवाज़
और गाने के बोल -
ऐ मेरे दिल कही और चल .....
लेकिन अफ़सोस कुछ सालों बाद
छूट गया था गिटार का साथ ।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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