Wednesday, May 3, 2023

फ़्लैश बैक - हौज़क़ाज़ी थाना

 




हौज़क़ाज़ी थाना 


हुआ था एक बार मेरा जाना 

हौज़क़ाज़ी थाना 

पड़ा था मुर्गा बनना 

कोतवाल के कहने पर 

रोया था अपनी क़िस्मत पर 

टूटी उस गुल्लक पर 

जिसका इल्ज़ाम लगा था मेरे सर 

लेकिन मुझे मेरी चरखी की क़सम 

तोड़ी नहीं थी वो गुल्लक मैंने 

करी थी  किसी ने राजनीति मेरे साथ 

धर कर झूठा इल्ज़ाम मुझ पर 

उस हादिसे के बाद 

छोड़ दिया था गुल्लक रखना 

और गुल्लक में पैसे भरना।  


कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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