लघुकथा - सैल्यूट
कड़ाके की ठण्ड में डूबी दिल्ली की एक सुबह। रात में फ्ल्योवेरों के नीचे सोने वाले ग़रीब लोग अब रेड लाइट सिग्नल्स के करीब चाय सुड़क रहे थे।
ठण्ड में सिकुड़ते मर्द - औरत और अधनंगे बच्चे। कप्तान विशाल की आर्मी कार जैसे ही सिग्नल पर रुकी एक ८ - १० साल के लड़के ने उनकी कार का दरवाज़ा खटखटाया। लड़का ठण्ड में काँप रहा था। कप्तान विशाल को जाने क्या सूझा कि अपनी गर्म टोपी बच्चे को पहना दी। लड़के ने फ़ौजी टोपी पहनते ही कप्तान विशाल को सैल्यूट मारा। विशाल को लगा एक हिंदुस्तानी फ़ौजी ने दूसरे हिंदुस्तानी फ़ौजी को सैल्यूट मारा है। कार आगे बढ़ गयी थी लेकिन विशाल समझ नहीं पा रहा था कि जिस देश में कुछ फ़ौजी सरहद पर देश की रक्षा करते हैं , उसी देश में कुछ फ़ौजी रेड लाइट सिग्नल्स पर ठण्ड में कांपते हुए भीख मांगने पर मजबूर क्यों हैं ?
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
No comments:
Post a Comment