कहानी लिखना
बहुत दिनों से दिल उदास नहीं
ग़म है यही कि ग़म पास नहीं
बहुत दिनों से नहीं लिखी कोई कविता
बहुत दिनों से मन नहीं रीता
हर बड़े कवि की कसौटी है लिखना कहानी
यही सोच कर बैठा मैं लिखने कहानी
अपने आस पास नज़र दौड़ाई
पात्र , जज़्बात , बात , मुलाक़ात
मैंने सबको किया इकठ्ठा
फिर कहानी की चिलम का मारा सट्टा
मुझे कहानी लिखना
एक बाज़ीगर के खेल की तरह लगा
जो खेल की शुरआत में
अपनी जादू की पिटारी से
निकालता है नए नए खिलोने
अधकचरे आइनो के टुकड़े औने-पौने
फिर उन आइनो के टुकड़ो को जोड़ कर
बनाना फिर से एक नया आइना
यक़ीनन मुश्किल है काम
गर बन भी जाये आइना
उसमे सिर्फ़ टूटे अक्स नज़र आये
बहुत काम ऐसे फ़नकार हैं
जो उन टूटे आइनो से भी
एक बुत बना जाते हैं
बहुत गहरे दिल में उतर जाते हैं।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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