Saturday, May 6, 2023

हंगेरियन लोककथा - कुत्ता बनना चाहता है

 कुत्ता बनना चाहता है 


प्राचीन समय की बात है।  एक अमीर किसान अपने बड़े लड़के के साथ रहता था। एक दिन किसान अपने खेत पर जाता है , उसके साथ उसका लड़का , नौकर - चाकर और दिहाड़ी मज़दूर भी जाते हैं।  सब मिलकर इतनी भूसा एकत्रित करते है कि सबके पसीने छूटने लगते है। 

मालिक के कुत्ते के अलावा सभी काम करते हैं, जबकि कुत्ता एक झाडी की छाँव में बैठ आराम फरमाता है।  

किसान का लड़का कुत्ते को देखता हैं और उसके आराम से ईर्ष्या से जलते हुए   अपने पिता से कहता है, " पापा ,  मुझे  कुत्ता बनना  है।  "

" क्या वाकई तुम कुत्ता बनना चाहते हो , अगर ऐसा हैं तो काम मत करो और   कुत्ते के पास जा कर बैठ जाओ , मुझे कोई ऐतराज नहीं हैं "


जवान लड़का  बिना दोबारा सोचे झाडी के नीचे आराम करने चला गया , गहरी नींद सोया जबकि दूसरे लोग काम करते रहें, लेकिन उसने चम्मच तक नहीं उठाया। 

तभी दोपहर के भोजन का समय  हो गया। 

तब किसान अपने नौकरों और दिहाड़ी मज़दूरों के साथ भोजन करने बैठे , लेकिन उन्होंने लड़के को भोजन के नज़दीन नहीं आने दिया। 

उन्होंने कुत्ते कि मानिंद   उसकी ओर  ब्रेड के टुकड़े और हड्डिया फेंकी । 

इससे लड़के को अधिक चोट नहीं पहुंची क्योकि  अभी उसे उतनी भूख नहीं थी। लंच के बाद लड़का फिर से छाया में लेट गया ओर नाश्ते के वक़्त तक वही लेटा रहा। 

नौकर ओर दिहादिमजदूर नाश्ता करने आये जबकि झाडी में सोया लड़का अभी नींद से जागा था। वह वहाँ गया कि उसे भी कुछ खाने को मिल जाये। 

" अभी प्रतीक्षा करो बेटा, तुम्हे भी ईमानदारी से तुम्हारा नाश्ता मिलेगा , कुत्ते के साथ।  " ओर फिर उन्होंने लड़के कि तरफ ब्रेड के कुछ टुकड़े ही फेंके। 


लेकिन शाम तक लड़के कि आँखें लाल हो गयी थी ओर उसने अपने पिता से कहा -

" पापा बस काफी हो गया , अब मुझे ओर कुत्ता नहीं बनना क्योंकि एक कुत्ता वाकई में कुत्ता ही होता हैं। "

किसान ने अपने बेटे से कहा - देखा तुमने , आदमी आदमी होता है और कुत्ता कुत्ता होता है।  


अनुवादक - इन्दुकांत आंगिरस 


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