माँ की स्मृति में ,
माँ , क्या लिखूँ तुम्हारी स्मृति में
सबको देती थी आशीर्वाद तुम -
" जीते रहो , ख़ुश रहो "
अस्पताल में बहुत बीमार थी तुम
लेकिन तब भी फ़िक्र थी हमारी
कहा था तुमने मुझसे और भाई से
- तुम्हे परेशान न करे कोई।
माँ , क्या लिखूँ तुम्हारी स्मृति में
न शब्द हैं न काग़ज़
रख दी है क़लम मैंने
और सोचने लगा हूँ तुम्हें।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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