Friday, May 12, 2023

फ़्लैश बैक -ग़ाज़ियाबाद स्टेशन भूड़ थाना

 ग़ाज़ियाबाद स्टेशन भूड़ थाना 


मस्ती में चढ़ रहा था प्लेटफ़ॉर्म  की सीढ़ियाँ  

तभी TT ने माँगा टिकट 

देख कर मेरा टिकट रोक लिया मुझको 

क्योंकि ट्रैन थी एक्सप्रेस और टिकट था पैसेंजर 

मैंने अँगरेज़ी झाड़ी जो TT पर 

हो गया और भी खफ़ा मुझ पर 

ले गया मुझे भूड़ के थाने में 

थानेदार था नशे में 

सुनकर TT की बात 

डाला उसने मुझे जेल में 

जहाँ था पहले से एक चोर 

और उठ रही थी बदबू पेशाब की 

उन दिनों नहीं थे मोबाइल फ़ोन    

 एक रिक्शा वाले को  दिया घर का पता 

पहुँचाने को मेरा संदेसा 

लगभग एक घंटे बाद आये थे 

मेरे पिता और दादा जी 

डाँटा था थानेदार को   

और छुड़ाया था मुझे जेल से ,

लगभग दो घंटे रहा था उस जेल कोठरी में 

नाक पर रख कर रुमाल 

उस दिन मालूम पड़ा 

कैसे होते है जेल और क़ैदी।  


कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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