Tuesday, May 9, 2023

फ़्लैश बैक - सारंगी

 

 सारंगी


रूसी सांस्कृतिक केंद्र में एक शाम 

कत्थक नृत्य का था कार्यक्रम 

वक़्त से कुछ पहले ही पहुँच गया था 

ऑडोटोरियम में अकेला ही बैठा था 

तभी स्टेज पर सारंगी नवाज़ ने 

छेड़ी थी ऐसी दर्द भरी तान 

कि दिल को चीरते हुए मेरी रूह तक 

उतर गयी थी वो तान 

बस तभी किया था निश्चय कि 

सीखना ज़रूर है ये साज़ 

जिसका नाम है सारंगी 

इंसानी आवाज़ के सबसे करीब 

सौ रंगो वाली सारंगी,

बहुत तवील है 

मेरी सारंगी सीखने की कहानी 

अफ़सोस कि पारंगत नहीं हो  पाया 

इस हुनर में 

लेकिन ख़ुशी इस बात की

जब भी होता है दिल उदास 

तो बजाता हूँ सारंगी 

और सुनाता हूँ अपनी रूह को 

दर्द भरा नग़मा एक।  



कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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