कविता और दर्शन
हम लोग कविता से दर्शन पर आ गए
और दर्शन होता है बोझिल
उस में नहीं होता कविता का दिल
उस में नहीं होती कविता की चुटकी
उस में नहीं होती वसंत की ख़ुश्बू
माना दर्शन से मिलता है तत्व ज्ञान
लेकिन मुझे तत्व ज्ञान नहीं ,अपितु
वसंत की है दरकार
इसीलिए नहीं छोड़ता मैं कविता का दामन
क्योंकि कविता मेरी आत्मा का
कभी न मुरझाने वाला वसंत है।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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