Wednesday, May 24, 2023

लघुकथा - नोटबंदी

 नोटबंदी 


कल २०००/ के नोट बदलवाने जब बैंक गया तो अजीब नज़ारा देखा।  नोट बदलवाने वालो की लम्बी लाइन और मिली जुली आवाज़े - 

अरे भाई , पहले १०००/ और ५००/ के नोट बंद कर २०००/ का नोट ज़ारी किया था , और अब २०००/ का नोट बंद। 

- देखते रहो , ५००/ और १००/ के नोट भी बंद होंगे 

- इस तरह हम कब तक नोट बदलते रहेंगे ?

तभी पीछे से किसी ने लम्बा जुमला फेंका -

भाइयों और बहनों , ये बार बार नोट बदलने से अच्छा एक बार प्रधानमंत्री ही बदल कर देख लेते हैं। 

यह जुमला सुन बैंक में मौजूद  सभी लोगो ने ज़ोर से ठहाका लगाया।  उनके ठहाके इतने बढे ...इतने बढे ....कि २०००/ के नोट हवा में उड़ने लगें। 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 

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