जन्म जन्म का साथ हमारा , अब न बिछड़ेंगे मिल कर
तुम सपनों की रात सँवारो , मैं पलकों पर दीप जलाऊँ
तुम सरगम का राग पुकारो , मैं अधरों पर गीत सजाऊँ
तुम फूलों का बाग़ सजा लो , मैं कलियों का रास रचाऊँ
तुम यादों का पाल बना लो , मैं लहरों की नाव बनाऊँ
तुम बदरी के गीत सजाओ , मैं तारों का साज़ बजाऊँ
तुम किरनों के पंख बना लो , मैं चाँदी के फूल सजाऊँ
तुम चंदन की सेज सजा लो , मैं साँसों का कफ़न बनाऊँ
तुम प्राणों का दीप जला लो , मैं बस धुआँ धुआँ बन जाऊँ
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
No comments:
Post a Comment