आकाशवाणी - दिल्ली
एक ज़माना था
जब हर महीने आकाशवाणी दिल्ली में
करता था प्रस्तुत
फ़िल्मी गीतों के कार्यक्रम
तो कभी कविता पाठ
मिलता था ७५ / का चैक
जिससे होता था अक्सर
पान वाले के उधार का भुगतान
अब तो एक मुद्दत हो गयी
आकाशवाणी भवन गए हुए
लेकिन आतें हैं आज भी बहुत याद
आकाशवाणी के घुमावदार गलियारे
रिकॉर्डिंग स्टूडियो ,
पुराने गानों के दुर्लभ रिकार्ड्स
और घूमते हुए टेप्स।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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