Monday, May 22, 2023

लघुकथा - दो कामवालियों की गुफ़्तगू

  दो कामवालियों की गुफ़्तगू


शीला -  साहब लोग , तुझसे भी आधार  कार्ड माँगे हैं क्या ?


पूनम - हाँ , मुझसे भी माँगा है , सभी अपार्टमेंट वालों ने नया रूल बना दिया है , अगर इस महीने के आख़िर तक जमा नहीं किया तो अगले महीने से काम नहीं मिलेगा और मैंने सुना है हमारा पुलिस वेरिफिकेशन भी होगा। 


शीला -   क्यों , हम लोग कोई अपराधी है क्या ? अपराधी तो सरकार से  पकडे नहीं जाते बस  शरीफ़ आदमियों को परेशान  करने में लगी रहती है। मुझे नहीं करना इस अपार्टमेंट में काम। इनका भी आधार चेक होना चाहिए।  इनकी भी पुलिस वेरिफिकेशन होनी चाहिए। ये लोग बाहर  ही शरीफ़ बनते हैं , घर में सारे कुकर्म करते हैं - शीला बिफ़रते हुए बोली थी। 

 

पूनम - चल छोड़ ये सब , ये बता कल तेरे बेवड़े पति ने तुझे मारा तो नहीं ?


शीला - मारा तो कल भी था लेकिन ...


पूनम - लेकिन  क्या ?

 

शीला - लेकिन कल मारने के बाद बहुत प्यार भी किया उसने........


अच्छा  तो ये बात है ,  तभी मेरी घोड़ी आज हवा पे सवार है।  


दोनों सखिया खिलखिला के हँस पड़ी और उनके क़हक़हे देर तक आकाश में गूँजते रहे।  



लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 

No comments:

Post a Comment