Wednesday, May 3, 2023

लघुकथा - प्रतिक्रिया

 प्रतिक्रिया 


गौरी नाम है मेरी बिटिया का। खिलौनों में सबसे प्यारी उसे अपनी गुड़िया लगती है। वह अपनी रबड़ की गुड़िया से बतियाती ,उसे दुलारती - पुचकारती। उसे नहला धुला कर उसके कपडे बदलती , उसका मेकअप  करती ,उसे लहँगा चुन्नी पहना कर दुल्हन सी सजा देती। कभी उसे सुलाती तो कभी पढ़ाती।  यह सब कार्य बड़े यत्न से करती। यह सब देख मुझे लगता कि वह रबड़ कि गुड़िया कोई खिलौना नहीं अपितु उसमे भी प्राण है। एक दिन गुड़िया से खेलते खेलते अचानक गौरी बिगड़ जाती है और रबड़ की गुड़िया को बुरी तरह पीटने लगती है। उसके इस व्यवहार से मैं अचकचा गया और गौरी से पूछ बैठा -  गौरी बिटिया , गुड़िया को क्यों मारती हो ?

- " पापा , जब मैं मम्मी का कहना नहीं मानती तो मम्मी भी मेरी पिटाई ऐसे ही करती है , आज मैं इसे ठीक करके छोडूंगी " गौरी ने दाँत पीसते हुए जवाब दिया था और मैं एक बुत सा खड़ा उसका पीटना देखता रहा था। 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 

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