Saturday, May 6, 2023

फ़्लैश बैक - मद्दो

 



मद्दों 


कई सालों बाद एक शादी में 

किसी ने मुझे नाम से पुकारा 

मैंने नहीं पहचाना तो उसने 

याद दिलाया अपना नाम 

 मेरे ज़ेहन में ताज़ा हो गया 

बरसो पुराना एक चेहरा  

मधु था जिसका नाम 

पुकारते थे  जिसे सभी मद्दो कह कर 

वो चुलबुली १२- १४ साल की लड़की 

आज एक दादी  बन सामने खड़ी थी 

लेकिन उससे मेरी कई यादें जुडी थी 

कुछ धुंधली यादें..... 

कुछ बिसरी यादें.....

कुछ गहरी  यादें ...

कुछ बहरी  यादें ...

पूछा जब उससे मैंने -

" और कैसी हो मद्दों ?"

कँवल के फूल सा 

खिल उठा उसका चेहरा। 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस 








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