Tuesday, May 9, 2023

लघुकथा - लाचार भिखारी

 लघुकथा - लाचार  भिखारी  


रेड  लाइट सिग्नल पर कार के रुकते ही , भिखारी को  अपनी तरफ आता देख मैंने झट से पत्नी को सचेत किया -

- " शीशा बंद कर  लो , इनका कोई भरोसा  नहीं , एक मिनट में चेन  तोड़ कर भाग जायेंगे। "


पत्नी ने तत्काल शीशा बंद कर लिया , लेकिन शीशे के करीब लाचार भिखारी को खड़ा देख कर धीरे से बुदबुदाई थी - 


" अजी  सुनते हो , इस बेचारे के तो हाथ ही नहीं हैं। "


भिखारी के  दोनों हाथ कटे हुए थे।  मैंने एक नज़र भिखारी को ग़ौर से देखा और अपनी नज़रे झुका ली या यूँ समझिये कि भिखारी से अपनी नज़रे चुरा ली। 


लेखक - इन्दुकांत  आंगिरस 


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