Friday, June 16, 2023

गीत - राह आसान नहीं है

 दर्द के समुन्दर में    पीड़ा की धार है 

आँसू की कश्ती में जाना उस पार है 


कोई तूफ़ान नहीं है , राह आसान नहीं है 


काँटों की पलकों में , छुप छुप कर रोती है 

सीने में    अपने वो    फूल ही    संजोती है 


शाख़ अनजान नहीं है , राह आसान नहीं है 


क्षण भर का हँसना है , युग भर का रोना है 

जाने किन हाथो का ,   मानव खिलौना है   


एक पहचान नहीं है , राह आसान नहीं है 


छत पर हवेली की जी भर कर बरसे है 

निर्धन के खेत पर ,   बूँद बूँद तरसे हैं 


मेघ नादान नहीं हैं , राह आसान नहीं हैं। 

  




कवि - इन्दुकांत आंगिरस    

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