ऐसो फूटो भाग हमारो , रूठ गयो घनश्याम
टूटे बिछवे , बिखरी बिंदिया , छूट गयो घर धाम
अब काहूँ से रार मचाऊँ
अब काहूँ की बाट निहारूँ
बोले पपीहा पिया पिया
पिया कहो मैं किसे पुकारूँ
ऐसो भूलो श्याम हमारो , भूल गयो निज नाम
कौन दवरिया अब आएगा
कौन किवारिया खटकायेगा
गीत न अब गोरी गाएगी
फाग न अब होरी लाएगी
ऐसो रूठो भाग हमारो , रूठ गयो गुलफ़ाम
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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