औरत और पानी
औरत और पानी का
बहुत गहरा नाता है
औरत को अक्सर
बुझानी होती है
जलते रेगिस्तानों की प्यास
जलते जिस्मों की प्यास
इसीलिए औरत
बन जाती है नदी
तो कभी बदरी , कभी बारिश
कभी बूँद
और कभी आँसू।
बहुत गहरा नाता है
औरत को अक्सर
बुझानी होती है
जलते रेगिस्तानों की प्यास
जलते जिस्मों की प्यास
इसीलिए औरत
बन जाती है नदी
तो कभी बदरी , कभी बारिश
कभी बूँद
और कभी आँसू।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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