Thursday, June 1, 2023

ग़ज़ल - ज़िंदगी जो मिली रौशनी की तरह

 ज़िंदगी जो मिली रौशनी की तरह 

दिल बुझाती रही तीरगी  की तरह 


बस यही इक खता  यार मुझसे हुई 

हर किसी से मिला आदमी की तरह 


प्यास में ख़ुद- ब- ख़ुद वो जला रात दिन 

जो मिला था मुझे  इक नदी की तरह 


भूलने में उसे इक ज़माना   लगा 

याद आता रहा इक सदी की तरह 


आग में सुन ' बशर ' इश्क़ जो था जला 

रात में ढल गया चाँदनी की तरह   



कवि - बशर बिंदास 

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