Friday, June 30, 2023

लघुकथा - फेयरवेल पार्टी

 फेयरवेल पार्टी 


दफ़्तर में एक सहकर्मी के रिटायर होने के अवसर पर  फेयरवेल पार्टी  का आयोजन था। पुराने साथी के बिछड़ने का दुःख तो था लेकिन फिर भी सभी तैयारी में जुटे थे। एक दूसरे साथी जो गवैये थे  अपनी रियाज़ में मशगूल थे। समय पर सब तैयारियाँ हो गयी थी।  तभी कम्पनी के निदेशक    आये तो सभी खड़े हो गए। उन्होंने भाषण दिया और सबने बजाई तालियाँ। वातावरण को सहज बनाने के लिए गायक साथी से गाने की फ़रमाईश की गयी। इसी बीच जलपान आ गया और सभी खाने - पीने  में मसरूफ़ हो गए। मैंने अपने साथी गायक को उनकी सुन्दर गायकी के लिए बधाई दी तो वे मुस्कुराते हुए बोले - " ग़ज़ल तो साहब को भी बहुत पसंद आई , मैं देख रहा था साहब अपने एक हाथ की उँगलियाँ दूसरे हाथ की उँगलियों पर थपथपा रहे थे और होंठों -  होंठों में धीरे धीरे गुनगुना रहे थे। "

अपने गवैये साथी की इस  टिप्पणी पर मैं हैरान था कि एक  गायक ग़ज़ल गाते - गाते इतना  हिसाब - किताब  कैसे लगा सकता हैं। 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस       

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