Monday, June 19, 2023

गीत - ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या

 

दिल की पुकार का, मुफ़लिस के प्यार का 

टूटे हुए    साज़ का ,   डूबती आवाज़ का 


ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या 


पंछी की प्यास का , बादल की आस का 

बीते हुए काल का , आने वाले साल का 


ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या 


लाजो की लाज का , जलते हुए आज का 

टूटे   हुए काँच का , बढ़ती हुई आँच  का 


ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या 


ग़ैरों के  घाव का ,   डूबती  इस  नाव का 

टूटे हुए भाग का , तन -बदन की आग का 


ज़िक्र ही करे ने जो , गीत ही वो क्या 



कवि - इन्दुकांत आंगिरस 


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