ज़िंदगी है एक गीत तो , आओ इसे गुनगुनाएँ हम
ज़िंदगी है एक भूल तो , आओ इसे दोहराए हम
ज़िंदगी है मौसिमों का सिलसिला
ज़िंदगी है आँसुओं का क़ाफ़िला
आदमी से तय नहीं हो पाएगा
ज़िंदगी से ज़िंदगी का फ़ासला
ज़िंदगी है एक दर्द तो , आओ इसे गुदगुदाए हम
ज़िंदगी है ख़ुश्बुओं की इक डगर
ज़िंदगी है हादिसों का इक नगर
आदमी से तय नहीं हो पाएगा
ख़ुश्बुओं से हादिसों का ये सफ़र
ज़िंदगी है एक फूल तो , आओ इसे फिर खिलाए हम
ज़िंदगी है आरती का इक दिया
ज़िंदगी है तीरगी का मर्सिया
आदमी से कुछ नहीं हो पाएगा
तीरगी ने रौशनी को छल लिया
ज़िंदगी है एक रात तो , आओ इसे जगमगाएँ हम।
कवि - इन्दुकांत आंगिरस
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