Tuesday, June 27, 2023

लघुकथा - पोस्टमॉर्टेम

 लघुकथा - पोस्टमॉर्टेम 


- " आख़िर ये सब हुआ कैसे ? " मैंने अपने दोस्त अतुल से पूछा  । 


- " वो एक ट्रक मार गया भाई को , ऑपरेशन चल रहा है।  " - अतुल ने मायूसी से जवाब दिया। 


तभी ऑपरेशन थिएटर का दरवाज़ा खुलता है - " नवीन  केसाथ कौन है ? " 


- " जी डॉ साहिब , मेरा भाई ठीक तो है ना ? " अतुल ने घबरा कर पूछा। 


- " सॉरी , हम मरीज़ को बचा नहीं पाए। लाश पोस्टमॉर्टेम के बाद आपको दे दी जाएगी। और हाँ , अगर आपको जल्दी हो तो  पोस्टमॉर्टेम विभाग में दुलीचंद से मिल लेना वरना लाश मिलने में २-३ दिन भी लग सकते हैं  " - यह कह कर डॉक्टर  आगे बढ़ गया। 


. दुलीचंद ..दुलीचंद....बड़बड़ाते हुए अतुल पोस्टमॉर्टेम विभाग की ओर मुड़ गया  था।  वह बीच बीच में अपनी ज़ेब में पैसे टटोलते हुए कुछ हिसाब - किताब लगाता जाता था । हाँ , उसे अपनी भैया की लाश आज ही चाहिए ...आज ही चाहिए.....



लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 

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