Thursday, June 8, 2023

वसंत का ठहाका - औरत - 2

 औरत और आग


औरत और आग का
रिश्ता है गहरा
कुछ ठिठुरते जिस्मो को
गर्माहट  देने के लिए
बर्फ़ को पिघलाने के लिए
कुछ बेजान मुर्दों को
जिन्दा करने के लिए
 औरत को आग में
जलना पड़ता है
कुछ परवानो की
 मुक्ति के लिए
औरत को
शमा बनना पड़ता है
औरत को
आग बनना पड़ता है।


कवि -   इन्दुकांत आंगिरस 

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