Sunday, June 25, 2023

फ़्लैश बैक - क़लम

 बचपन में 

पकड़ा  था जो क़लम 

शायद करने थे  

मुझे रक़म

कुछ तारे , कुछ नज़ारे 

चंद फूल और तितलियाँ 

कुछ पहाड़ , कुछ झरने 

कुछ जंगल , कुछ नदियाँ

एक दर्द भरा गीत 

लम्हा भर प्रीत 

एक अनजानी छुअन  

एक संदल बदन 

इक भूली बिसरी आवाज़ 

इक टूटा हुआ साज़ 

कुछ ख़ुशी , कुछ ग़म 

दास्तां लिख ज़िंदगी की  

आज फिर आँख है नम 

बचपन में 

पकड़ा  था जो क़लम.....


कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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