Sunday, June 18, 2023

लघुकथा - उतरन


उतरन 


 रमन ने अपने  पुराने कपडे और फटे हुए जूते अपनी नौकरानी कमला को देते हुए कहा - " ये पुराने कपडे और जूते लेती जा , तेरा पति पहन लेगा इन्हें।"   

कमला ने वे सभी चीज़े उठा ली और अपने पति को दे कर बोली - देखिये हमारे साहब कितने दयालु और परोपकारी है , उन्होंने अपने पुराने कपडे और जूते आपके लिए दिए हैं।  कमला के पति ने उन पुराने कपड़ों को उलट-पुलट कर देखा तो पाया कि लगभग सभी कपडे घिसे और फटे हुए थे और जूतों का तो सोल ही निकला हुआ  था।  यह देख  कर उस ने ग़ुस्से में वो दान की वस्तुएँ वही फेंकते हुए अपनी पत्नी से कहा -

" तुम्हारे साहब  बड़े परोपकारी और दानी बने फिरते है। उन्होंने अपनी उतरन दान में दे कर ये प्रमाणित कर दिया है कि परोपकार का उन से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं।  वास्तव में तुम्हारा मालिक एक स्वार्थी और अहंकारी व्यक्ति है जो अपनी उतरन का दान दे कर अपने आप को परोपकारी और दानी साबित करना चाहता है। 

अपने पति की बाते सुन कर कमला का मुँह  खुला का खुला रह गया और उसने कपड़ो की वो पोटली अपने घर से बाहर फेंक दी। 


लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 






No comments:

Post a Comment