लघुकथा - बटुआ
उस ज़माने में बटुआ रखने का इतना चलन नहीं था और न ही इतने पैसे होते थे। क्रेडिट कार्ड्स , डेबिट कार्ड्स , आधार कार्ड ,PAN कार्ड आदि कुछ भी नहीं होता था। ज़्यादा पैसे होते थे तो पैंट की आगे वाली शार्ट पॉकेट में सहेजे जाते या फिर रुमाल में बाँध कर पैंट की साइड पॉकेट में रखे जाते। अपनी पत्नी और डेढ़ वर्षीय बेटे के साथ वैष्णो देवी की यात्रा कर रहा था। खर्चे के सभी पैसे एक रुमाल में बाँध पैंट की साइड पॉकेट में रख निश्चिन्त था। हम लोग ऊपर वैष्णो देवी के दरबार में पहुँच गए थे। सड़क पर ही होटल के बारे में एक आदमी से पूछ ताछ कर रहा था। पसीना पौंछने के लिए जेब से रुमाल निकाला तो पैसो वाला रुमाल जेब से निकल सड़क पर गिर पड़ा और मुझे पता भी नहीं चला। होटल के लिए आगे बढ़ने ही वाला था कि तभी पैरो के पास खड़े हुए बेटे ने मेरा हाथ हिला कर मुझसे तुतलाकर बोला - " पापा " और पैसो वाले रुमाल की तरफ़ इशारा किया।मैंने तत्काल पैसो वाला रुमाल सड़क से उठाया। मेरे पैरो तले ज़मीन खिसकती खिसकती रह गयी , अगर ये पैसे खो जाते तो मेरे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। भीख मांगने की कल्पना से ही सिहर उठा और मैंने अपने बेटे को गोदी में उठा कर ख़ूब प्यार किया। यक़ीनन माँ वैष्णो देवी की कृपा रही होगी लेकिन फिर भी मेरे ज़ेहन में William Wordsworth की यह पंक्ति ताज़ा हो गयी - Child is the Father of Man .
लेखक - इन्दुकांत आंगिरस
उस ज़माने में बटुआ रखने का इतना चलन नहीं था और न ही इतने पैसे होते थे। ज़्यादा पैसे होते थे तो पैंट की आगे वाली शार्ट पॉकेट में सहेजे जाते या फिर रुमाल में बाँध कर पैंट की साइड पॉकेट में रखे जाते। अपनी पत्नी और डेढ़ वर्षीय बेटे के साथ वैष्णो देवी की यात्रा कर रहा था। खर्चे के सभी पैसे एक रुमाल में बाँध पैंट की साइड पॉकेट में रख निश्चिन्त था। सड़क पर ही होटल के बारे में एक आदमी से पूछ ताछ कर रहा था। पसीना पौंछने के लिए जेब से रुमाल निकाला तो पैसो वाला रुमाल जेब से निकल सड़क पर गिर पड़ा और मुझे पता भी नहीं चला। पैरो के पास खड़े हुए बेटे ने मेरा हाथ हिला कर मुझसे तुतलाकर कहा - " पापा " और पैसो वाले रुमाल की तरफ़ इशारा किया।मैंने तत्काल पैसो वाला रुमाल सड़क से उठाया। अगर ये पैसे खो जाते तो मेरे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे। मैंने अपने बेटे को गोदी में उठा कर ख़ूब प्यार किया। यक़ीनन माँ वैष्णो देवी की कृपा रही होगी लेकिन फिर भी मेरे ज़ेहन में William Wordsworth की यह पंक्ति ताज़ा हो गयी - Child is the Father of Man .
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