Saturday, June 24, 2023

लघुकथा - हजामत

 लघुकथा - हजामत 


- " इतनी बारिश में भी आप हजामत बनवाने आ गए , आइए , बैठिए  " - नाई ने ग्राहक   से कहा। 

- " तुम भी तो बैठे हो बारिश में " -  ग्राहक ने जवाब दिया। 

- " मजबूरी है बाउजी , यहाँ तो रोज़ कुआ खोदना है , रोज़ पानी पीना है " - नाई ने जुमला उछाला। 

- " हाँ , तुम्हारी तो मजबूरी है , लेकिन इस इंद्र देवता की तो कोई मजबूरी नहीं।  लोग जब बूँद - बूँद को तरस जाते हैं तो बरसते नहीं और बरसेंगे तो रुकेंगे नहीं , देखो दूर दूर तक पानी ही पानी है।  सबकी हजामत कर दी इन्होंने। 

 -" बिलकुल  सही कहा आपने" , नाई ने ठहाका  लगाते हुए कहा -" सबसे बड़ा नाई तो ऊपर वाला ही है "। 


आपका क्या ख़्याल है ,  नाई का जुमला सुन कर ऊपर वाला ख़ुश तो ज़रूर हुआ होगा।  



लेखक - इन्दुकांत आंगिरस 


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