Sunday, June 11, 2023

गीत - फूल जब झड़ जाएँ यूँ शाख़ों से

 फूल  जब   झड़ जाएँ   यूँ शाख़ों से 

 बिखरे फिर पाँखों से 

 आँगन यूँ मेरा तुम ने  ही बुहारा होगा 


याद आई फिर भूली -सी सुधियाँ 

बीत गयी थी सदियाँ

धड़का मन मेरा तुम ने ही पुकारा होगा 


धूप - सी  बरसात कही पर थम गयी 

आँख वही पर जम गयी  

बादल घर मेरे तुम ने ही फुहारा होगा 


दर्द जब    आँखों में मेरी   घर जाए

बस धीरे धीरे भर जाए 

गीत फिर मेरा तुम ने ही सँवारा होगा   


आँगन   में मेरे   ठहरा   कब वसंत 

होने को ही है अंत 

मौसिम बदला है तेरा ही इशारा होगा  


कवि  - इन्दुकांत आंगिरस

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