Sunday, December 22, 2024

Ghazal _ Rule मात्रा पतन ( मात्रा गिराने का नियम)

 मात्रा पतन ( मात्रा गिराने का नियम)

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मित्रों

ग़ज़ल में लय की प्रधानता होती है।

लय के अनुसार हम कभी कभी दो मात्रा को एक मात्रा में बदलकर पढ़ते हैं। हम लिखे अनुसार नहीं पढ़ते हैं। हिन्दी छन्दों में दीर्घ मात्रा को लघु मात्रा में बदलकर पढ़ना वर्जित है जबकि ग़ज़ल में भी नियम तो यही है लेकिन यह शायर को छूट दी गई है कि वह सुविधानुसार लय का पालन करते हुये दीर्घ मात्रा को लघु मानकर पढ़ सकता है। एक मिसरे में बार बार दीर्घ को लघु मात्रा मानने की मनाही है। मात्रा पतन का भी नियम है जो निम्न है।

नियम नं 1. 

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सभी व्यंजन अक्षर क, ख, ग से लेकर क्ष,त्र, ज्ञ की मात्रा 1 होती  है लेकिन जब वे दीर्घ स्वर आ, ई, ऊ, ए, ओ से जुड़ जाते हैं तो वे दीर्घ मात्रिक हो जाते हैं। अर्थात इनकी मात्रा 1 से 2 हो जाती है। जैसे -

का, की , कू ,के, और को की मात्रा 2 हो जाती है।

इसी प्रकार अन्य व्यंजन अक्षर जैसे ग, च, ज, झ आदि के साथ समझें।ऐसे दीर्घ मात्रा को आवश्यकता के अनुसार 2 को 1 मात्रा मानकर गणना कर सकते हैं।जैसे

का 2 मात्रा ~1मात्रा

से  2 मात्रा ~ 1 मात्रा

ही 2 मात्रा ~ 1 मात्रा

हो 2 मात्रा ~ 1 मात्रा

लू 2 मात्रा ~ 1 मात्रा


यदि व्यंजन अक्षर के साथ ऐ, औ, अं, अ: जुड़ते है तब भी व्यंजन द्वि मात्रिक हो जाते हैं जैसे कै , गौ , लौ , भं , कं , छ: आदि की मात्रा 2 है इनकी मात्रा को गणना करते समय 2 को 1 नहीं मान सकते है ये हमेशा दो मात्रिक ही रहेंगे। लेकिन है, मैं  अपवाद हैं।

और की मात्रा आवश्यकता अनुसार 'अर' पढ़कर 21 की जगह 2 मान लेते हैं।

मेरे की मात्रा 22, 21, 12 और 11 हो सकती है

इसी प्रकार कोई की मात्रा भी 22, 21, 12 और 11 हो सकती है

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