सरस्वती वंदना
वर दे , मुझे वर दे माँ
मन के गहन तिमिर को
ज्योति से अपनी
दूर कर दे माँ
निर्बलों का बल बनूँ मैं
दीन का सम्बल बनूँ मैं
इल्म की गागर बनूँ मैं
प्रीत का सागर बनूँ मैं
जग की हर पीड़ा , जग का हर आँसू
गीत बन जाए मेरा
वर दे , मुझे वर दे माँ ...
फूल का खिलना लिखूँ मैं
शूल का चुभना लिखूँ मैं
ज़ुल्म का क़िस्सा लिखूँ मैं
रात का हिस्सा लिखूँ मैं
गीत बन जाए मेरा
वर दे , मुझे वर दे माँ ...
मुझे वर दे माँ।
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