नियम नं 7
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उर्दू शब्द जो अरबी और फारसी से आये हैं उनके आखिरी मात्रा का पतन तब तक नहीं करते हैं जबतक कि उन पर हिन्दी व्याकरण न लगा हो। जैसे-
हादसा में सा की मात्रा का पतन नहीं होगा इसकी मात्रा 212 होगी। हाँ यदि इस पर हिन्दी का व्याकरण लगाकर बहुबचन बनाकर 'हादसे' कर दिये जायेंगे तब ' से' की मात्रा का पतन होगा और हादसे की मात्रा 211 मानकर गणना कर सकते हैं।
दूसरा उदाहरण देखें- रोशनी की मात्रा 212 है। चूँकि यह उर्दू का शब्द है इसलिए रोशनी में ई की मात्रा का पतन नहीं कर सकते। अब यदि इस प र हिन्दी व्याकरण लगा दिया जाये तो रोशनी का रोशनियों या रोशनियां हो जायेगा। अब इसके अंतिम अक्षर की मात्रा का पतन कर सकते हैं।
तीसरा उदाहरण - आईना की मात्रा 222 है इसमें 'ना' की मात्रा 2 की जगह 1तब तक नहीं कर सकते हैं जब तक की इस पर हिन्दी का व्याकरण लगाकर आईना को 'आईने' न कर दिया जाये। अब लय यानी बहर की माँग के अनुसार आईने की मात्रा को 222 की जगह 221 मानकर गणना कर सकते हैं।
निष्कर्ष- उर्दू शब्दों के मात्रा पतन वर्जित हैं जब तक उन पर हिन्दी का व्याकरण न लगा हो।
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