आशंका
तुम इतनी देर से
अपने हाथों में
पत्थर उठाये खड़े हो
देखो !
तुम्हारा हाथ काँपने लगा है
लौट जाओ
अपने पदचिह्नों को
मिटाते हुए
और पत्थर
उसी गड्ढे में डाल दो
जिसमें
आशंका है
तुम्हारे गिरने की।
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