इब्तिदाए-इश्क़ है रोता है क्या
आगे-आगे देखिए होता है क्या
इस मतले का पहला मिसरा 'इब्तिदा-ए-इश्क है रोता है क्या' के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन दुरुस्त यही है जो रेख़्ता पर दर्ज है।
राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या
आगे आगे देखिए होता है क्या
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