उपलब्धियाँ
अंतर्राष्ट्रीय बालिका वर्ष की उपलब्धियाँ
कल खोलते ही घर की खिड़कियाँ
दिखी थीं मुझे मैदान में
मिट्टी में सनी
कुछ बहुत छोटी , कुछ बड़ी लड़कियाँ
क्षण भर को हो गया था उदास
मैं जा बैठा था उनके पास
' अरे नहीं जाती तुम पाठशाला , स्कूल
यहाँ व्यर्थ उड़ाती हो धूल '
ठिठक गयी थीं क्षण भर को वे
फिर हँस पड़ी थीं खी खी कर
शायद मुझे समझ बैठी थी पागल
' अंकल '
छिप गयी थी दूसरी बालिका के पीछे
वह मुझे सम्बोधित कर
' हाँ बेटी , तुम नहीं जानतीं
आज सारा संसार तुम्हारे लिए चिंतित है
आओ , मेरे साथ आओ
मैं मिलवाऊँगा तुम्हें उन चिंतकों से
उन समाज के निर्माताओं से
जो बड़े बड़े वातानुकूलित बैठक घरों में
घंटो
तुम्हारे लिए बहस करते हैं
और जब थक जाते हैं
तब स्वादिष्ट मिठाइयों से
अपना पेट भरते हैं
मिठाई का नाम सुनते ही
बालिकाओं की आँखें चमक उठीं
उनके मुँह में आ गया पानी
उन्हें दिलचस्प लगी मेरी कहानी
पर फिर भी वे नहीं चलीं मेरे साथ
बैठ रहीं रखे हाथ पे हाथ
अंकल !
हम नहीं जा सकते आपके साथ
आप नहीं जानते
अभी घर का बहुत काम पड़ा है
सूरज सर पर आन खड़ा है
अभी घर भी है लीपना
अभी गेहूं है पीसना
अभी सेंकनी है रोटी
हाँ , गोल - गोल रोटी
आते ही होंगे ,
माँ बापू काम से
बिगड़ेंगे मेरे आराम पे
अंकल
माना समर्पित है
हम बालिकाओं को यह साल
पर अभी चढ़ानी है हमे दाल
अंकल , हम नहीं जा सकते आपके साथ
अंकल
बहुत दिलचस्प है आपकी कहानी
पर अभी भरना है हमको पानी
अभी पड़ा है चौका - बर्तन
हाँ , हाँ यह सब
हमें ही है करना
ज़रूरी है हमारे लिए
यह सब सीखना
ऐसा ही कहती है माँ
' आख़िर ठहरे हम पराया धन '
अंकल !
हम नहीं जा सकते आप के साथ।
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