Sunday, December 15, 2024

पढ़ने अब हम जाएँगे

 अक्षर दीप


पढ़ने अब हम  जाएँगे 

अक्षर दीप जलाएंगे 


लेकिन है ये  बस्ता भारी 

भरी किताबें इसमें सारी

झुक जाते हैं कंधे अपने 

दूर बहुत हैं मीठे  सपने 


क़दम क़दम बढ़ाएंगे 

पढ़ने अब हम जाएँगे 


कोई अब न निरक्षर होगा

गली गली में अक्षर.होगा

सूरज भी अब घर घर होगा

रौशन धरती अम्बर होगा


जग रौशन कर जाएँगे  

पढ़ने अब हम जाएँगे 


हमको इतना है विश्वास

नया रचेंगे हम इतिहास

बेशक़ ढूँढो यहाँ वहाँ

हम जैसे अब और कहाँ


युग इक नया बनायेंगे

पढ़ने अब हम जायेंगे


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