अक्षर दीप
पढ़ने अब हम जाएँगे
अक्षर दीप जलाएंगे
लेकिन है ये बस्ता भारी
भरी किताबें इसमें सारी
झुक जाते हैं कंधे अपने
दूर बहुत हैं मीठे सपने
क़दम क़दम बढ़ाएंगे
पढ़ने अब हम जाएँगे
कोई अब न निरक्षर होगा
गली गली में अक्षर.होगा
सूरज भी अब घर घर होगा
रौशन धरती अम्बर होगा
जग रौशन कर जाएँगे
पढ़ने अब हम जाएँगे
हमको इतना है विश्वास
नया रचेंगे हम इतिहास
बेशक़ ढूँढो यहाँ वहाँ
हम जैसे अब और कहाँ
युग इक नया बनायेंगे
पढ़ने अब हम जायेंगे
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