Wednesday, September 11, 2024

Flash Back - बुढ़िया के बाल

 बुढ़िया के बाल 


हाँ , यही था इस दिलचस्प 

पदार्थ का नाम 

मिलते थे कई रंग में 

बुढ़िया के बाल 

गरम - गरम , कुछ चिपचिपे 

एल्युमीनियम  की 

एक गोल परात सी 

जिसके बीचो बीच 

होता था एक चक्का 

घुमाया जाता था चक्के को  

एक मिनट के लिए

और फिर 

बुढ़िया के बाल 

हो जाते थे खाने को तैयार 

मैं हफ़्ते मैं कम से कम दो बार 

ज़रूर खाता था  

चीनी में डूबे   

बुढ़िया के रंग - बिरंगे बाल 

अब नहीं मिलते हर जगह 

खाये हुए बुढ़िया के बाल 

गुज़र गए है सालों साल। 


कवि - इन्दुकांत आंगिरस 

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