Monday, September 2, 2024

वरिष्ठ लेखक हरिसुमन बिष्ट के नाम एक शानदार शाम ::

 वरिष्ठ लेखक हरिसुमन बिष्ट के नाम एक शानदार शाम ::


प्रतिष्ठित संस्था रूपांतिका के तत्वाधान में उत्तराखंड सदन, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली के भव्य सभा कक्ष में दिनांक 31अगस्त, 2024 को "जीवन में  हरिसुमन... हरिसुमन बिष्ट  का लेखन" पर  खुली चर्चा हुई। आशा से कहीं अधिक संख्या में, दूर दूर से, अपनी-अपनी विधा के लेखक, कुछ अति पुराने मित्र, समीक्षक, नाटककार, राजनैतिक जीवन से जुड़े उल्लेखनीय व्यक्तित्व, अभिनय-कर्ता, चित्रकार, पत्रकार तथा गणमान्य व्यक्ति आयोजन में शामिल हुए। 

उत्तराखंड के पूर्व यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री भगतसिंह कोश्यारी  (पूर्व राज्यपाल, महाराष्ट व गोवा सरकार), माननीय श्री किशोर उपाध्याय, विधायक, पूर्व आई ए एस ऑफिसर श्री कुलानंद जोशी, brahmoksh  के Dceo  श्री  संजीव जोशी , समाज  सेवा  के  क्षेत्र  मे  प्रतिष्ठित  नाम श्री नरेंद्र  सिंह  लडवाल की उपस्थिति तथा समयांतर पत्रिका के संपादक पंकज बिष्ट की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि श्री दीवान सिंह बजेली थे। विशिष्ट अतिथिगण एवं  वक्ता सर्वश्री महेश दर्पण, प्रोफेसर गोविंद सिंह, मदन मोहन सत्ती, अनीस आजमी, पी सी नैलवाल, प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहानी, अशरफ अली, सिंघी अकादेमी के सचिव श्री रमेश चंद्र, कवयित्री डॉ रेनू पंत, वरिष्ठ रंगकर्मी हेम पंत, डॉ आशा जोशी, सी .एम. पपने, भूपेश जोशी, देवा धामी, मनोज चंदोला, पूर्व स्पेशल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ओम सपरा , पूर्व उप आयुक्त मोह. कमर आदि की गरिमामयी भागीदारी रही और सभी सम्मानित वक्ताओं ने आत्मीय वक्तव्य प्रस्तुत किए। मंच पर सभी मित्रों, अतिथि विद्वानों की सक्रिय उपस्थिति से इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ गई। कार्यक्रम का सुंदर और सजीव संचालन संजीव अग्निहोत्री  एवं सुषमा जुगरान ध्यानी ने किया।  

         माननीय श्री भगतसिंह कोश्यारी  जी का आत्मिक उद्बोधन अति रोचक, प्रेरक और बहुत प्रभावशाली था।  पंकज बिष्ट ने  अपने महान हरिसुमन बिष्ट के लेखन पर चर्चा करते हुए कहा कि वे अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में अत्यधिक व्यस्त रहते हुए भी पुस्तकें पढ़ने के लिए समय अवश्य निकाल लेते हैं। आपने कहा कि पुस्तके प्रत्येक जागरूक व्यक्ति की सच्ची मित्र होती हैं। पूर्व राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री, माननीय भगत सिंह कोश्यारी जी  का उद्बोधन अति उत्तम रहा और सभी ने उनके वक्तव्य को सराहा। पूर्व स्पेशल मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रैट, वरिष्ठ साहित्यकार, निबंध लेखक श्री ओम सपरा ने माननीय लेखक हरिसुमन बिष्ट से अपनी 1980 से निरंतर चल रही व्यक्तिगत मित्रता और लेखकीय अनुभवों की विस्तृत चर्चा की और कहा कि "श्री बिष्ट पहाड़ी जनमानस के प्रतीक हैं, उनका स्वप्न है हर बच्चे के हाथ में किताब हो, कोई भी बच्चा साधनों के अभाव में अनपढ़ न रहे। आपने कहा कि हरिसुमन बिष्ट को एक बेहतरीन और उम्दा इंसान हैं और एक अच्छे दोस्त हैं।"

संगोष्ठी के अध्यक्ष श्री पंकज बिष्ट ने निठारी कांड के संदर्भ में सुरेन्द्र सिंह कोली जैसे निरपराध इंसान की असहायता और प्रशासन-तंत्र में निरीह तथा असहाय होकर फँसने की व्यथा की चर्चा करते हुए कहा कि हमारा प्रथम कर्तव्य है कि दुनिया में “इंसानियत की रक्षा” हर कीमत पर करें और निरपराध व्यक्ति को न्याय दिलाने के समस्त संभव प्रयास तत्काल ही अवश्य करें। सभी वक्ताओं के आत्मीय उद्गार लेखक के जीवन के संघर्ष और मानसिक उहापोह, पहाड़ और दिल्ली की यात्रा में संतुलन बनाए रखने की मनोव्यथा तथा लेखकीय जीवन यात्रा को समझने में महत्वपूर्ण और अनुभूति के शानदार मार्मिक पल थे। 

श्री हरिसुमन बिष्ट जी अपने अनुभव सांझा करते हुए भावुक हो गए और उनके साहित्य और व्यक्तित्व की मैत्रीपूर्ण चर्चा करने के लिए सभी मित्रों का विशेष आभार प्रकट किया। आपने अपने साहित्य लेखन के पीछे अपनी पत्नी के अद्भुत सहयोग और प्रेरणा की काफी प्रशंसा की।

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