Tuesday, September 17, 2024

मेरे नाना

 

मेरे नाना

 

दिल्ली में

पहली राद मशीन लगाने वाले

लाला जयदयाल यानी मेरे नाना

अजमेरी गेट पर था जिनका कारख़ाना

दिल्ली के रईसों में शुमार था जिनका नाम

सन १९४० में जिनके पास थी

घोड़ों वाली बग्घी और मोटर-कार

इंडिया गेट की सैर को जाता था परिवार

अब हो चुके थे कंगाल

और घर की छत पर बनी दुछत्ती में

कर रहे थे निवास

गली के बरमे से भर कर लाता था

उनके लिए सुराही में ठंडा पानी

बहुत दर्द भरी थी उनकी कहानी

अब भी कभी कभी अपनी बेंतनुमा स्टिक

और टोपी पहन निकलते थे बाज़ार

और लाते थे खजूर

अब कोई नहीं कहता उन्हें हुज़ूर?

बिक गयी थी हौज़काज़ी की दुकानें

बिक गया था कारख़ाना

नाना भूल गए थे मुस्कुराना

मुझे आज भी सोच कर आश्चर्य होता है

कि कैसे दिल्ली का एक रईस

हो गया था गुमनाम

अब किसी को याद नहीं उनका नाम।

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