रामलीला का मेला
पुरानी दिल्ली के
रामलीला ग्राउंड में
लगता रामलीला का मेला
लाता था हज़ारों ख़ुशियाँ
शाम होते ही दोस्तों के साथ
निकल पड़ता था मेले में,
सैकड़ों चाट पकौड़ी के
स्टॉल
मनोरंजन से भरे लुभावने खेल
मसलन - मौत का कुआँ,
बन्दूक की निशानेबाज़ी,
रिंग थ्रो,हँसी के गोलगप्पे,
बाहर जोकर के पोस्टर
अंदर मुन्नी बाई का डांस,
काग़ज़ या प्लास्टिक की
तलवार, गदा और धनुष बाण
और भीड़ का रेला
मिलकर बनाता था मेले को
मेला
दूर से ही रामलीला के मंचन
का नज़ारा, बड़े बड़े झूले
रात में सब कुछ
रंगीन रौशनी में चमकता
हर चेहरा ख़ुशी से दमकता
दो-तीन घंटे तक
मेले में घूमने के बाद
जब भी लौटता घर
तो हाथ में होता धनुष बाण
कोई गदा या तलवार कभी
मिले ज़िंदगी में रावण कई
लेकिन चला नहीं पाया कभी
धनुष बाण, गदा या तलवार कभी
क्योंकि लिया नहीं था
शस्त्र ज्ञान
किसी गुरु से कभी।
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